अनुक्रमणिका
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भारतीय शाश्वत् सनातन वैदिक ज्ञान-विज्ञान विज्ञान के आधार पर वेदभूमि-पूर्णभूमि-देवभूमि-पुण्यभूमिसिद्ध भूमि- प्रतिभारत भारतवर्ष का जगद्गुरुत्व और ख्याति जिस प्रकार महर्षि जी ने समस्त भू-मण्डल में हजारों वर्षों के अन्तराल के पश्चात् पुन: स्थापित की और भारतीय वैदिक ज्ञान-विज्ञान, योग, भावातीत ध्यान का लोहा मनवाया।...
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राष्ट्र की उन्नति में शोध एवं नवाचार की अहम भूमिका को समझते हुए एनईपी में बहुभाषावाद पर बहुत बल है। गाँवों, कस्बों और छोटे नगरों में बिखरी प्रतिभाओं को भी अवसर मिले, इसके लिए आज प्रतियोगिता और प्रवेश परीक्षाएँ भारतीय भाषाओं में हो रही है। भारतीय संविधान में उल्लिखित सामाजिक न्याय की भावना को एनईपी में दोहराया गया है।...
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भगवान श्रीकृष्ण ने 'श्रीमद् भगवद्गीता' में कर्म को बहुत ही विस्तार से स्पष्ट किया है। कर्म की गति अत्यंत ही जटिल है। मानव को मात्र कर्म करने का अधिकार है, कर्मफल पर उसका कोई अधिकार नहीं है।...
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स्वयं से सहानुभूति को अपना साथी बनाने के बाद मैंने स्वयं को प्रेम करना सीख लिया, जिससे मुझे बहुत अधिक लाभ हुआ जीवन में अके ले महसूस करने की बजाय मैंने पाया कि वास्तव में मुझे मात्र अपनी ही आवश्यकता है। इस सोच ने मुझे शारीरिक और मानसिक स्तर पर उत्तम बनने में बहुत सहायता की।...
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बच्चों की दुनिया बहुत रंगीन होती है। पुस्तकों से लेकर कपड़े तक सब कुछ रंगीन। यह फॉर्मूला आपके बच्चे के पोषण के मामले पर भी लागू होता है। अत: उसके स्कूल टिफिन में भी रंग भरना प्रारंभ कर दें। बहुत से बच्चे खाने रूप-रंग में मीन-मेख निकालते हैं और खाने से मना कर देते हैं। हो सकता है आपका बच्चा भी इसी समुदाय का भाग हो।...
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