अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6
![भारत विश्व का सर्वोच्च शक्तिशाली राष्ट्र होगा भारत विश्व का सर्वोच्च शक्तिशाली राष्ट्र होगा](upload/anukramanika/mahamedia-jan20-anu06.jpg)
जीवन में समस्त कष्टों का, समस्त दु:खों का कारण, समस्त राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अंतर्द्वन्द्वों का कारण, जीवन में समस्त दुर्भाग्यों का कारण चाहे यह व्यक्ति के जीवन में हो अथवा राष्ट्र के जीवन में, प्रकृति के विधानों का उल्लंघन है एवं इसके पीछे मूल कारण यह है कि आज की शिक्षा लोगों को प्रकृति के विधानों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रशिक्षित नहीं करती।...
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पृष्ठ क्र. 8
![जीवन मात्र पास - फेल नहीं, परिश्रम और अच्छी भी है जीवन मात्र पास - फेल नहीं, परिश्रम और अच्छी भी है](upload/anukramanika/mahamedia-jan20-anu08.jpg)
अनेक माता-पिता अपने बच्चों को प्रतिशत की दौड़ में पीछे देखकर धृतराष्ट्र और गांधारी के समान व्यवहार करने लगते हैं, बच्चे के अंदर नाकामी का विष व तुलना की हीनता भरने से तनिक भी नहीं चूकते। दूसरी ओर, जिनके बच्चे अच्छे परिणाम लेकर आते हैं, उनके माता-पिता रिश्तों में नश्तर चुभोने लगते हैं। ध्यान रहे, देश का भविष्य मात्र अंक के पैमाने पर सफल युवकों से नहीं बनेगा, उनके अंदर नैतिकता व अच्छाई भी चाहिए।
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पृष्ठ क्र. 10
![कर भला तो हो भला कर भला तो हो भला](upload/anukramanika/mahamedia-Anu-Jan-21-12.jpg)
भगवान भी मनुष्य के रूप में अवतार लेकर सज्जनों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का विनाश करते हैं। इस कलियुग में भी ईश्वर मनुष्य को निमित्त बनाकर व्यक्तियों की सहायता करते हैं और उनके कष्टों का निवारण करते हैं।
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पृष्ठ क्र. 12
![हँसते रहिए हँसते रहिए](upload/anukramanika/mahamedia-Anu-Jan-21-44.jpg)
मुख पर मुस्कान रहेगी, तो प्रसन्नता भी बढ़ेगी, ऐसा एक शोध में दावा किया गया है। स्टैफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस शोध में पाया गया है कि जो लोग दिन में तीन बार कुछ मिनटों के लिए अपने मुख पर मुस्कान लाते हैं, उन्हें तनाव कम होता है।...
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पृष्ठ क्र. 44
![प्रत्येक बच्चे को बुजुर्गों के बचपन से मिलना चाहिए प्रत्येक बच्चे को बुजुर्गों के बचपन से मिलना चाहिए](upload/anukramanika/mahamedia-anu-april-2024-44.jpg)
बुजुर्गों के बचपन की गवाही देते बहुत सारे निशान तो शायद न मिल सकें, किंतु उनके दौर के होने का विश्वास बच्चों को आश्चर्य से भर सकता है। नदियों से निकटता, पेड़ों पर सरलता से चढ़ जाना, झूले बाँधना और झूलना जैसे अनेक दृश्य या गतिविधियाँ अब बच्चों को नजर भी नहीं आतीं। वे बातें सुनेंगे, कल्पना करेंगे, तो सृजनात्मक होंगे। जो देखा नहीं, उसकी कल्पना करना एक आवश्यक खूबी है, जो किस्सों, कहानियों, अनुभवों के निकट ले जाती है।...
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