अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

'हमारे पास एक तकनीक है, हमारे पास एक प्रौद्योगिकी है जो हमारे मस्तिष्क को विविध बोध के विभिन्न क्षेत्रों से प्रकृति के नियमों वाले समत्व योग के क्षेत्र में ले जाती है जहाँ मन भवातीत चेतना का अनुभव करता है और आत्मपरक चेतना से कोई भी शिखर, वैश्विक विचार का रूप लेता है।...
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पृष्ठ क्र. 8

प्राथमिक शिक्षा बच्चे की मातृभाषा या उस भाषा में होनी चाहिए, जिसे वह जानता-समझता है। यदि किसी कक्षा में कई मातृभाषाओं के बच्चे हैं, तो स्थानीय स्तर पर प्रचलित भाषा में उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए। इसको आर-1 कहा गया है। आर-1 के द्वारा ही बच्चों को अन्य विषय पढ़ाने चाहिए या दूसरी भाषा (आर-2) सिखाई जानी चाहिए। जब बच्चा आर-1 और आर-2, दोनों भाषाएँ एक बार सीख ले तो अन्य विषयों को किसी भी भाषा में पढ़ाया जा सकता है।...
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पृष्ठ क्र. 10

बालक जब विद्यालय में प्रवेश करता है, तब से लेकर किशोर, युवा और प्रौढ़ अवस्था तक उसे मानवीय रिश्तों के रूप में मित्र, पड़ोस एवं कार्यस्थल पर सहयोगियों का साथ मिलता है। आवश्यकता के अनुसार ये संबंध बनते हैं और इस बात का ध्यान रखना है कि ईश्वरीय संबंध के कारण से मानवीय रिश्ते उपेक्षित न हो...
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पृष्ठ क्र. 12

घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों के बीच स्वयं को अनदेखा करना हम महिलाओं की आदत है। पर इस बात को समझें कि दिन भर अपने बच्चे के पीछे - पीछे भागना या घर के समस्त कार्य करना न तो व्यायाम का विकल्प है और न हो सकता है। व्यायाम का अर्थ है, कम-से - कम 30 मिनट तक निरंतर कोई शारीरिक गतिविधि करना,...
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पृष्ठ क्र. 44

ओवर पेरेंटिंग प्राय: बच्चे के लिए अतिशय चिंता का परिणाम होता है और लालन-पालन के इस तरीके पर कई शोध भी हो चुके हैं, जिसके अनुसार हमारी यह चिंता कि हमारे बच्चे हमारी सहायता के बिना शैक्षणिक या सामाजिक रूप से सफल नहीं हो सकते, मात्र उन्हें उनके जीवन पर नियंत्रण से वंचित करते है।...
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