अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

गुरुदेव के जीवन को जब देखते है, परम तपस्वी वो भावातीत का जीवन था। ये हिमालय और विन्धगिरी की कन्दराओं में , वनों में एकान्तवास, वो वर्षों उनका जीवन जैसा बीता है वो परा का जीवन था, वास्तविक परा की सत्ता लहरा रही थी उनके जीवन में उनके चलने में उनके फिरने में उनके देखने में उनके इन्द्रियों के व्यवहार में परा की सत्ता का लहरा था।...
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पृष्ठ क्र. 8

समस्त योगदानों के बावजूद निजी स्कूलों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। यह दृष्टिकोण, जो कई मामलों में सही भी है, उन्हें लाभ के आधार पर चलने वाली संस्था के रूप में पेश करता है। इतिहास हमें यह बताता है कि निजी पहल ने अनेक क्षेत्रों में नवाचार को आगे बढ़ाया है। ऐसे में स्कूली तंत्र को भला क्यों अपवाद बनाकर रखा जाए? हमें राज्य, निजी स्कूलों और एडटेक कंपनियों में सामंजस्य के तरीके भी परिवर्तित करने होंगे।...
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पृष्ठ क्र. 10

संकीर्ण बुद्धि वाले व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में मेरा-तेरा करते हैं और परिवार-समाज में झगड़ा करते हैं और करवाते हैं। ऐसे लोग स्वयं तो दु:खी रहते हैं, अपने परिजन और समाज के लोगों को भी दु:खी करते हैं, जबकि उदार-चरित्र वाले लोग अपनी आत्मीयता से पराये को भी अपना बना लेते हैं। वे समाज में शांति, सामंजस्य और सह-अस्तित्व का वातावरण निर्मित करते हैं।...
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पृष्ठ क्र. 12

अनेक वर्षों तक बहुत कुछ पढ़ने, शोध करने और सीखने के पश्चात यही समझ आया कि यह मात्र एक अहसास मात्र नहीं था, बल्कि इसकी जड़ें मेरे बचपन से जुड़ी हुई थीं। मेरा जन्म एक प्रसन्नचित्त परिवार में हुआ था, किंतु युद्ध ने मेरे सुखमय जीवन को संघर्ष में बदल दिया।...
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पृष्ठ क्र. 44

प्रत्येक कार्य के समान खाने-पीने की आदतों में अनुशासन रखना चाहिए। लिहाजा, उसका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। बच्चे के पीछे-पीछे खाना लेकर भागना और टीवी देखते समय खाना खाने देने को प्रोत्साहित बिल्कुल न करें। खाने का स्थान निर्धारित करें। किसी भी कमरे में खाने की अनुमति न दें।...
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