अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

भारत की शक्ति विश्व हमारा परिवार है- वसुधैव कुटुम्बकम् की रही है। विश्व में समस्त नागरिकों के लिए भारत का यह संदेश रहा है कि सब एक सम्मिलित परिवार के सदस्यों की तरह व्यवहार करें। यह सिद्धांत भारत में धार्मिक जीवन के मूल में रोपित हैं, यह भारत में राजनीतिक जीवन के मूल में रोपित है।...
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पृष्ठ क्र. 8

"समाज के अधिकतर व्यक्ति सहिष्णुता, त्याग, दया, सहयोग, विनम्रता, सेवा आदि दिखावे के लिए करते हैं। उनकी कथनी और करनी में अन्तर होता है, इस कारण उनका व्यक्तित्व प्रेरक नहीं बन पाता है। आत्मबल प्राप्त करने के लिए हमें साधना करनी पड़ती है। यह साधना कोई दो चार वर्षों की नहीं होती वरन् जीवन पर्यन्त चलती रहती है। आत्मबल की इस साधना से व्यक्ति का आभामंडल इतना तेजोमय बन जाता है।...
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पृष्ठ क्र. 10

"इंजीनियरिंग की परीक्षाओं में बैठने वाले साइंस स्टूडेंट को केमिस्ट्री के तीन भागों के हलए अलग-अलग रजिस्टर बनाना चाहिये। प्रवेश परीक्षा में ऑर्गेनिक केमिस्ट्रर के परिचित होना बहुत अहम होता है। सिद्धांतों की आधारभूत जानकारी प्राप्त करने में छात्र का ध्यान होना चाहिए।...
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पृष्ठ क्र. 44

गंगा के समान तीर्थ, माता के समान गुरु भगवान्, विष्णु के सदृश देवता तथा रामायण से बढ़कर कोई उत्तम ग्रंथ नहीं है। वेद के समान शास्त्र, शान्ति के समान सुख शान्ति से बढ़कर ज्योति तथा रामायण से उत्कृष्ट कोई काव्य नहीं है।...
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